Hello Students, आज कि इस Post के माध्यम से हम आपको सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश के बारे सम्पूर्ण जानकारी देंगें कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश कि नियुक्ति कैसे होती है, योग्याता क्या होती है, सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश का कार्य क्या है सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी होती है,कॉलेजियम की भूमिका क्या है सम्पूर्ण जानकारी के लिए हमारी इस Post को जरूर पढें।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश की नियुक्ति
भारत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है, राष्ट्रपति अपनी मंत्री परिषद की सलाह पर न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से परामर्श प्राप्त करते है, भारतीय न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है, न्यायाधीशों का एक बार चयन होनें के बाद केवल उनको महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता है।
न्यायाधीशों की योग्यताएँ
- व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- कम से कम पांच साल के लिए उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो। अथवा
- किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो। अथवा
वह व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिए। - किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या फिर उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय के एक तदर्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जा सकता है !
- यहाँ पर ये जानना आवश्यक है की उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने हेतु किसी भी प्रदेश के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश का पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है ,और वह ६२ वर्ष की आयु पूरी न किया हो ,वर्तमान समय में CJAC निर्णय लेगी
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश की नियुक्ति प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के विषय में बताया गया है, इस अनुच्छेद के अंतर्गत “राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से, जिनसे परामर्श करना वह आवश्यक समझे, परामर्श करनें के पश्चात् उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करेगा.”, सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश का परामर्श राष्ट्रपति द्वारा लिया जाएगा |
भारतीय सविंधान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कोई अलग से प्रावधान नहीं किया गया है, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है|
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश का कार्य
न्यायाधीश अदालत की सभी कार्यवाही का संचालन करता है, न्यायाधीश सदैव अपनें कार्यक्षेत्र के अंतर्गत ही निर्णय देते है, न्यायाधीश के पास प्रशासनिक शक्ति होती है, जन हित के विषय में वह स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही कर सकता है, न्यायाधीश की राज्य एवं केंद्रीय विषय, संवैधानिक मामलों को हल करने की अहम् भूमिका होती, न्यायाधीश निर्णय देते समय सबूत, गवाहों, अभियोजक और प्रतिवादी द्वारा तर्कों के आधार पर करते है |
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कितनी होती है
सर्वोच्च न्यायालय में कुल 31 न्यायाधीशों की नियुक्ति होती है, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश है |
Supreme Court judge Salary
सुप्रीम कोर्ट और 24 हाईकोर्ट के जजों का वेतन बढ़ाने संबंधी बिल को लोकसभा की मंजूरी मिल गई। इस बिल के पास होने के बाद जजों के वेतन में दोगुना से अधिक वृद्धि हो जाएगी।
संसद के दोनों सदनों से यह बिल पास होने और कानून बनने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश को हर माह 2.80 लाख रुपए का वेतन मिलेगा। आपको बता दें कि फिलहाल उन्हें एक लाख रुपए मासिक वेतन दिया जाता है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के जजों और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को प्रति माह 2.50 लाख रुपए वेतन मिलेगा, जो कि अभी 90,000 रुपए है। 2016 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सरकार को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों का वेतन बढ़ाने की मांग की थी।
कॉलेजियम की भूमिका क्या है
किसी भी जज की नियुक्ति के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश का परामर्श कॉलेजियम के अन्य चार वरिष्ठ जजो के परामर्श से प्रभावित होती है, मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश के बाद यह सिफारिश कानून मंत्रालय जाती है, इसके बाद वह सिफारिश कानून मंत्रालय और न्यायविभाग के माध्यम से प्रधानमंत्री के पास पहुँचती है, प्रधानमंत्री इसमें अपनी राय का समावेश कर के उसको राष्ट्रपति के पास भेजते है, राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात् इसकी घोषणा न्याय विभाग के सचिव द्वारा की जाती है, इसके बाद अधिसूचना जारी की जाती है | नियुक्ति होनें के लिए सम्बंधित न्यायाधीश को अपना स्वास्थ्य प्रमाण पत्र देना होता है, इसके उपरांत जज को नियुक्ति दे दी जाती है, और अब जज को केवल संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित अभियोग के माध्यम से ही हटाया जा सकता है |
भारतीय सविधान द्वारा अनुच्छेद 143 के अनुसार राष्ट्रीय हित से राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श मांग सकता है, परन्तु उस परामर्श को वह माननें के लिए बाध्य नहीं है |
Students, हमारी यह Post “सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी,Full details of Supreme court judge”आपको कैसी लगी लगी आप हमें Comment के माध्यम से आप बता सकते है। और जो कुछ भी आप को और जरूरत हो इसके लिए भी आप हमें Comments कर सकते है।
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