MP Vyapam Patwari के लिए ग्रामीण अर्थव्यस्था एवं पंचायती राज्य GK
आज के इस लेख मे हम आपको बताएगे की ग्रामीण अर्थव्यस्था एवं पंचायती राज्य से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी बताएगे, अगर आपने MP Vyapam Patwari Exam के लिए आवेदन किया है, तो इस Subjects से 25 Questions पूछे जाएगे प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित किया गया है, तो नीचे हमारे द्वारा उपलब्ध सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान को पढे तथा अपनी Notes मे लिख ले जिससे आपको परीक्षा मे मदद मिल सके।
पंचायती राज सामान्य ज्ञान
पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, तालुका और जिला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राजव्यवस्था आस्तित्व में रही है। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राजवस्वस्था लागू की गई।
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संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 मेंं राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया है। 1991 में संविधान में 73 वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 करके पंचायत राज संस्था को संवैधानिक मान्यता दे दी गयी हैं-
- बलवंत राय ंमंहता समिति की सिफारिशें (1957) –
- अशोक मेहता समिति की सिफारिशें (1977)-
- ग्राम सभा को ग्राम पंचायत के अधीन किसी भाी समिति की जाँच करने का अधिकार
पंचायती राज पर एक नजर
24 अप्रेैल 1993 भारत में पंचायती राज के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मार्गचिन्ह था क्योंकि इसी दिन संविधान (73 वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओँ को संवैधानिक दर्जा हासिल कराया गया और इस तरह महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के स्वप्न को वास्तविकता में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया गया था।
73वें संशोधन अधिनियम, 1993 में निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं
- एक त्रि-स्तरीय ढांचे की स्थापना (ग्रामं पंचायत, पंचायत समिति या मध्यवर्ती पंचायत तथा जिला पंचायत)
- ग्राम स्तर परग्राम सभा की स्थापना
- हर पांच साल में पंच्यातों के नियमित चुनाव
- अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों पर आरक्षण
- महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण
- पंचायतों की निधियों में सुधार के लिए उपाय सुझाने हेतु राज्य वित्त आयोगों का गठन
- राज्य चुनाव आयोग का गठन
- 73वां संशोधन अधिनियम पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में काम करने हेतु आवश्यक शक्तियाँ और अधिकार प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को अधिकार प्रदान करता है। ये शक्तियां और अधिकार इस प्रकार हो सकतें हैंः
- संविधान की ग्यारहवीं अनुसीजी में सूचीबध्द 29 विषयों के संबंध में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाँ तैयार करना और उनका निष्पादन करना
- कर. डयूटीज. टोंल, शुल्क आदि लगाने और उसे वसूल करने का पंचायतों को अधिकार
- राज्यों द्वारा एकत्र करों, ड्यूटियों, टोल और शुल्कों का पंचायतों को हस्तांतरण
ग्राम सभा
ग्राम सभा किसी एक गांव या पंचायत का चुनाव करने वाले गांवों के समूह की मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था है।गतिशील और प्रबुध्द ग्राम सभा पंचायती राज की सफलता के केंद्र में होती है।
इस विभाग के अंतर्गत संस्थान और संगठन
- राज्य आजीविका फोरम भोपाल मध्य प्रदेश
- ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद (नरेगा, मध्यप्रदेश). भोपाल
- ग्रामीण आजीविका परियोजना भोपाल
- संजय गाँधी संस्थान. एस.जी.आई.पंचमढ़ी
- सामाजिक ऑ़डिट
- जिला पंचायत अशोक नगर
पंचायती राज
पंचायती राजव्यवस्था में ग्राम, तहसील, तालुका और जिला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राजव्यवस्था अस्तित्व में रही है, भले ही इसे विभिन्न नाम से विभिन्न काल में जाना जाता रहा हो। पंचायती राज व्यवस्था को कमोबेश मुगल काल तथा ब्रिटिश काल में भी जारी रखा गया। ब्रिटिश शासन काल में 1882 में तत्कालीन वायसराय लाँर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। ब्रिटिश शासकों ने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की स्थिति पर जाँच करने तथा उसके सम्बन्ध में सिफारिश करने के लिए 1882 तथा 1907 में शाही आयोग का गठन किया। इस आयोग ने स्वायत्त संस्थाओं के विकास पर बल दिया, जिसके कारण 1920 में संयुक्त प्रान्त, असम. बंगाल. बिहार, मद्रास और पंजाब में पंचायतों की स्थापना के लिए कानून बनाये गये। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी संघर्षरत लोगोॆ के नेताओं द्वारा सदैव पंचायती राज की स्थापना की मांग की जाती रही।
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संवैधानिक प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 40 राज्यों का पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही संविधान की 7वीं अनुसूची(राज्य सूची) की प्रविष्टि 5 में ग्राम पंचायतों को शामिल करके इसके सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार राज्य को दिया गया है। 1993 में संविधान में 73वां संशोधन करके पंचायत राज संस्था को संवैधानिक मान्यता दे दी गई है और संविधान में भाग 9 को पुनः जोड़कर तथा इस भाग में 16 नये अनुच्छेदों (243 से 243- ण तक ) और संविधान में 11 वीं अनुसूची जोड़कर पंचायत के गठन. पंचायत के सदस्यों के चुनाव, सदस्यों के लिए आरक्षण तथा पंचायत के कार्यों के सम्बन्ध में व्यापक प्रावधान किये गये है।
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