सिन्धु सभ्यता सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में Sindhu Sabhyta
Hello Students, आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको सिन्धु सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। कि सिन्धु सभ्यता की खोज किन-किन उत्खननकर्ता ने किस वर्ष कि। सिन्धु सभ्यता में प्रमुख नदी कौन-कौन सी थी। कौन- सी नदी के किनारे किन स्थानों की खोज हुई। सिन्धु सभ्यता कि प्रमुख फसलें क्या थी। आदि तथ्यों से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी पढें।
सिन्धु घाटी साभ्यता पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्न Sindhu Sabhyata GK Questions
- रेडियोकार्बन C14 जैसी नवीन विश्लेषण-पद्धति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी गयी है।
- सिन्धु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी से की।
- सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी।
- सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बड़े नगर की संज्ञा दी गयी-मोहन जोदड़ों, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा राखी गढ़ एवं कालीबंगन।
- स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात् हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गये है।
- लोथल एवं सुतकोतदा सिन्धु सभ्यता के बन्दरगाह थे।
- जुते हुए खेत और नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग का साक्ष्य कालीबंगन से प्राप्त हुआ है।
- मोहनजोदड़ों से प्राप्त अन्नागार संभवतः सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त वृहद स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुण्ड़ 11.88 मीटर लम्बा 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा है।
- अग्निकुण्ड़ लोथल एवं कालीबंगन से प्राप्त हुए है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपति नाथ) की मूर्ती मिली है। उनकें चारों ओर हाथी, गैंड़ा, चीता एवं भैसा विराजमान है।
- मोहनजोदड़ों से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है।
- हडप्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक श्रंगी पशु का अंकल मिलता है।
- मनके बनाने के कारखाने लोथल एवं चन्हूदड़ों में मिलें है।
- हड़प्पा के सर्वाधिक स्थल गुजरात से खोजे गए हैं।
- सिन्धु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है। यह लिपि दायीं से बाईं ओर लिखी जाती थी। जब अभिलेख एक से अधिक पंक्तियों का होता था तो पहली पंक्ति दायीं से बायीं और दूसरी बायीं से दायीं ओर लिखी जाती थी।
- सिन्धु सभ्याता के लोगो ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड़ पद्धति अपनाई।
- घरों के दरवाजों और खिड़कियाँ सड़क की ओर न खुलकर पिछवाडें की ओर खुलते थे। केवल लोथल नगर के घरों के दरवाजें मुख्य सड़क कि ओर खिलते थे।
- सिंधु सभ्यता को प्राक्ऐतिहासिक (Prohistoric) युग में रखा जा सकता है।
- इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ और भूमध्यसागरीय थे।
- सिंधु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल सुतकांगेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल आलमगीर ( मेरठ), उत्तरी पुरास्थल मांदा ( अखनूर, जम्मू कश्मीर) और दक्षिणी पुरास्थल दाइमाबाद (अहमदनगर, महाराष्ट्र) हैं।
- सिंधु सभ्यता की मुख्य फसलें थी गेहूं और जौ।
- सिंधु सभ्यता को लोग मिठास के लिए शहद का इस्तेमाल करते थे।
- रंगपुर और लोथल से चावल के दाने मिले हैं, जिनसे धान की खेती का प्रमाण मिला है।
- सरकोतदा, कालीबंगा और लोथल से सिंधुकालीन घोड़ों के अस्थिपंजर मिले हैं।
- तौल की इकाई 16 के अनुपात में थी।
- सिंधु सभ्यता के लोग यातायात के लिए बैलगाड़ी और भैंसागाड़ी का इस्तेमाल करतेथे।
- मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलूहा शब्द का अभिप्राय सिंधु सभ्यता से ही है।
- हड़प्पा सभ्यता का शासन वणिक वर्ग को हाथों में था। सिंधु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानते थे और पूजा करते थे।
- पेड़ की पूजा और शिव पूजा के सबूत भी सिंधु सभ्यता से ही मिलते हैं।
- स्वस्तिक चिह्न हड़प्पा सभ्यता की ही देन है। इससे सूर्यपासना का अनुमान लगाया जा सकता है।
- सिंधु सभ्यता के शहरों में किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं।
- सिंधु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना होती थी।
- पशुओं में कूबड़ वाला सांड, इस सभ्यता को लोगों के लिए पूजनीय था।
- स्त्री की मिट्टी की मूर्तियां मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि सैंधव सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक था।
- सैंधव सभ्यता के लोग सूती और ऊनी वस्त्रों का इस्तेमाल करते थे।
- मनोरंजन के लिए सैंधव सभ्यता को लोग मछली पकड़ना, शिकार करना और चौपड़ और पासा खेलते थे।
- कालीबंगा एक मात्र ऐसा हड़प्पाकालीन स्थल था, जिसका निचला शहर भी किले से घिरा हुआ था।
- सिंधु सभ्यता के लोग तलवार से परिचित नहीं थे।
- पर्दा-प्रथा और वैश्यवृत्ति सैंधव सभ्यता में प्रचलित थी।
- शवों को जलाने और गाड़ने की प्रथाएं प्रचलित थी। हड़प्पा में शवों को दफनाने जबकि मोहनजोदड़ों में जलाने की प्रथा थी। लोथल और कालीबंगा में काफी युग्म समाधियां भी मिली हैं।
- सैंधव सभ्यता के विनाश का सबसे बड़ा कारण बाढ़ था।
- आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है।
सिन्धु काल में विदेशी व्यापार
आयातित वस्तुएँ | प्रदेश |
---|---|
ताँबा | खेतड़ी, बलूचिस्तान, ओमान |
चाँदी | अफगानिस्तान ईरान |
सोना | कर्नाटक, अफगानिस्तान, ईराान |
टिन | अफगानिस्तान, ईरान |
गोमेद | सौराष्ट्र |
लाजवर्त | मेसोपोटामिया |
सीसा | ईरान |
सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल- नदी, उत्खननकर्ता, वर्ष
प्रमुख स्थल | नदी | उत्खननकर्ता | कर्ता |
---|---|---|---|
हड़प्पा | रावी | दयाराम साहनी एवं माधोस्वरूप वत्स | 1921 |
मोहनजोदड़ो | सिन्धु | राखालदास बनर्जी | 1922 |
चन्हूदड़ो | सिन्धु | गोपाल मजुमदार | 1931 |
कालीबंगन | घग्घर | बीं. बीं. लाल एवं बी. के. थापर | 1953 |
कोटदीजी | सिन्धु | फजल अहमद | 1953 |
रंगपुर | मादर | रंगनाथ राव | 1953-54 |
रोपड़ | सतलज | यज्ञदत्त शर्मा | 1953-56 |
लोथल | भोगवा | रंगनाथ राव | 1955 एवं 1962 |
आलमगीरपुर | हिन्ड़ल | यज्ञदत्त शर्मा | 1958 |
सुतकांगडोर | दाश्क | अॉरेज स्टाइल, जार्ज डेल्स | 1927 एवं 1962 |
बनमाली | रंगाई | रवीन्द्र सिंह विष्ट | 1974 |
धौलावीरा | – – – | रवीन्द्र सिंह विष्ट | 1990-91 |
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