One Nation One Election : देशभर मे आए दिन कोई न कोई बडा बदलाव देखने को समय समय पर मिलता रहता है, ऐसे मे बडी संख्या मे लोगो को भविष्य और आधुनिक जमाने मे बहुत कुछ बडे बदलाव की चिन्ता है, इसी को देखते हुए भारत मे जल्द ही एक देश एक चुनाव जैसे बहुत बडे बदलाव के बाद नियमो को लागू किया जा सकता है ऐसे मे आइए इस बारे मे विस्तार से बात करते है, कि इसके बाद भारत मे क्या बदलाव हो सकते है, और भारत मे अगर यह लागू होता है, तो आम नागरिक के साथ साथ भारत मे सबसे बडा असर क्या पडेगा, अगर आप भारत के निवासी है,तो आपको इस पूरी खबर को विस्तार पढना बेहत जरुरी है।
One Nation One Election
केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र एक चुनाव वाले नए नियम को लागू करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता मे समिति गठित की है, जिसमे सरकार 18 से 22 सितम्बर तक संसद मे सत्र बुलाकर इसको लागू करवाने की तैयारी कर ली है। कुछ समाचार एजेंसी द्वारा इस जानकारी को साझा किया गया है।
क्यो जरुरी है : एक राष्ट्र एक चुनाव इसलिए जरुरी है, क्योकी भारत मे बहुत से राज्य है, जहॉ पर चुनाव की प्रक्रिया अगल अगल व अलग अलग समय मे आयोजित की जाती है, जिससे भारत सरकार द्वारा चुनाव आयोग द्वारा धन, जन व समय की बहुत ही ज्यादा छति होती है, इसमे सरकार द्वारा जारी बजट के एक बडे आकडे मे लगने वाले धन को बचाया जा सकता है। वही जहॉ भी चुनाव होने वाले होते है वहा पर आचार संहिता लागू कर दी जाती है, जिसके बाद नई परियोजना, स्कीम, वित्तीय मंजूरी और नियुक्ति नही कर सकती है। और इस कारण जरुर नितियो और जरुरी कामो पर निर्णय नही ले पाती है, सरकार।
One Nation One Election के नुकसान
कुछ विपक्षीय पार्टी और अन्य संसदीय लोग इसको गलत व सही नही ठहरा रहे है, जिससे मामले मे दो राय हो चुके है, इससे कुछ विधानसभाओं की मर्जी के खिलाफ उनके कार्यकाल को बढ़ाया या घटाया जाएगा, जिससे राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। एक साथ चुनाव से क्षेत्रीय दलों को नुकसान पहुंच सकता है।
भारत मे पहली बार आजादी के बाद 1951-52 मे एक साथ चुनाव कराए गए थे, इसके बाद विधानसभा चुनाव 1957, 1962 और 1967 मे हुए थे पर किसी कारणवश इस नियम को खत्म कर दिया गया था।
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