Sociology Hindi समाज शास्त्र Meaning of SOCIOLOGY in Hindi PDF Download

Sociology Hindi, Sociology In Hindi- आज के इस पोस्ट में हम आपलोगो के लिए बहुत ही खास जानकारी लेकर आए हैं। जो की बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। Sociology Hindi की पूरी जानकारी लेकर आए हैं।इस लेख में हमने इसकी पूरी जानकारी दी हैं। जिसे आपलोग आसानी से हिन्दी भाषा में पढ सकते हैं। तो आपलोग इस लेख को पूरा पढें। क्योकी यह बहुत ही जरुर ही जी हैं। क्योकी बहुत सी समाजशास्त्र सम्बन्धित प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओ मेें इससे प्रश्न पूछे जाते हैं। तो अगर आपलोग किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। तो आपलोग इसे जरुर ही पढें।

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sociology in hindi

जाने इस पोस्ट में क्या क्या है

Sociology Hindi

समाजशास्त्र एक नया अनुशासन है अपने शाब्दिक अर्थ में समाजशास्त्र का अर्थ है – समाज का विज्ञान। इसके लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द सोशियोलॉजी लेटिन भाषा के सोसस तथा ग्रीक भाषा के लोगस दो शब्दों से मिलकर बना है जिनका अर्थ क्रमशः समाज का विज्ञान है। इस प्रकार सोशियोलॉजी शब्द का अर्थ भी समाज का विज्ञान होता है। परंतु समाज के बारे में समाजशास्त्रियों के भिन्न – भिन्न मत है इसलिए समाजशास्त्र Sociology को भी उन्होंने भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया है।

Sociology In Hindi

समाज की समस्याओ का अध्धयन वैसे तो प्राचीन काल से ही होता हैं। लेकिन समाज के क्रमबध्द अध्धयन के लिए समाजशास्त्र विषय के उदय को विशेष समय नही हुआ हैं। इसलिए इसे एक नवीन समाजिक विज्ञान माना जाता हैं। समाजशास्त्र शब्द की प्रयोग सर्वप्रथम अगस्ट कौंत ने 1838 मेे किया था। तब इन्होने Sociology कहाँ था इसलिए अगस्ट कौंत को समाजशास्त्र की पिता कहा जाता हैं। उन्होने इस विषय की कल्पना फ्रांस की औद्योगिक क्रांन्ति से उत्पन्न समाजिक समस्याओ के अध्धयन के लिए की थी। कौंत ने प्रांरभ मे इस विषय को Social Physics कहाँ था। जान स्टूअर्ट मिल ने सोसियोलाजी शब्द के स्थान पर इथोलाँजी शब्द के प्रायोग की बता कही तथा विषय को दो भिन्न भाषाओ की अवैध संतान की संज्ञा दी थीं। लेकिन उनका यह सूझाव अमान्य कर दिया गया समाजशास्त्र विषय की परिभाषा प्रारंभ से ही एक विवादित विषय रही हैं। इंकल्स ने अपनी पुस्तक What is Sociology में परिभाषा निर्धारित करने के तीन पथ बतलाएं हैं।

  1. ऐतिहाँसिक मार्ग
  2. आनुभाविक मार्ग
  3. विश्लेषणात्मक मार्ग

1- ऐतिहासिक मार्ग– इसके अतर्गत हम यह जानने का प्रयास करते हैं। कि प्रार्भिक लेखको की रचनाओ का केन्द्र बिन्दु क्या रहा हैं। हम यह जानना चाहते हैं। कि इन लेखको ने किन बातो को प्रतिपादित करना चाहा हैं। इसके अंतर्गत कौत, स्पेन्सर, डर्कहाइम, मैक्स वेवर आदि को रखा जा सकता हैं। कौतं ने समाजशास्त्र को दो भागो में बाटाँ

  1. सामाजिक स्थैतिकी
  2. सामाजिक गतिशीलता

सामाजिक स्थैतिकि स्थिरता के अंतर्गत ने उन वृहद संस्थाओ और संस्थात्मक जटिलता को रखा जो सामाजिक विश्लेषण को वृहत रुप से स्पष्ट कर सकें। जैसे परिवार, आर्थिक व्यवस्था, राजनैतिक व्यवस्था आदि।

सामाजिक गतिशिलता के अंतर्गत उन्होने विकास और परिवर्तन पर बल दिया हैं। स्पेन्सर ने अपनी पुस्तक Principal Of Sociology में समाजशास्त्र के अध्धयन मे निम्न पर बल दिया हैं।परिवार राजनिती, धर्म, सामाजिक नियंत्रण, उद्योग आदि।

दुर्खीम डर्कहाइम ने व्यक्ति का समाज से अलग महत्व नही हैं। इन्होने समाजशास्त्र में धर्म, कानून, नैतिकता, विवाह, परिवार, अपराध, आदि को रखा डर्कहाइम ने सामजसाश्त्र को सामाजिक संस्थाओ की विज्ञान माना जात हैं।

वेवर ने माना कि समाजशास्त्र वह विज्ञान हैं जो समाजिक क्रिया का विश्लेषणात्मक अध्धयन करता हैं।

2- आनुभाविक मार्ग- इस मार्ग के अतंर्गत हम यह जानने का प्रयास करते हैं। कि आधुनिक समाजशास्त्री वर्तमान मे किस प्रकार की समाजिकस समास्याओ का अध्धयन कर रहे हैं। और इसका प्रस्तुतीकरण कैसा हैं। तात्पर्य अध्धयन से संबधित विषय पध्दति और प्रस्तुतीकरण के तरीके से हैं। विभिन्न पुस्तको की विषय सूची पत्रिकाऔ के लेखो आदि से वर्तमान मे समाजशास्त्रीय अभिमुखता की जानकारी मिलती हैं। समाजशास्त्रियो ने विषय के चुनाव अध्धयन पध्दति प्रस्तुतीकरण, ग्रामीण समाजशास्त्र, सामाजिक- मनोविज्ञान, समाजशास्त्र का समाजशास्त्र आदि।

Important Sociology In Hindi

3- विश्लेषमात्मक मार्ग- इसमें हमे अपनी विश्लेषण क्षमता के आधार पर यह जानना होता हैं की विभिन्न विषयो मे से कौन से समाजशास्त्र के अंतर्गत रखें जा सकते हैं। और कौन से नही बहुत से लोग सामाजिक कार्य समाज सुधार आदि को भी समाजशास्त्र का अंग मान लेता हैं। गांधी, विवेकानन्द आदि। समाजसुधारक थें। समाजसुधारक थे समाजशास्त्री नही समाजशास्त्र की विषय वस्तु में उन्ही विषयो को शामिल किया जा सकता हैं। जिनसे कि विभिन्न विषयो की विषेय वस्तु का स्पष्ट निरुपण होता हो। वास्तव में विभिन्न विषयो मेे सिर्फ दृष्टिकोण का अन्तर होता हैं। तब हम समाजशास्त्र मे किसी कुर्सी की बात करते हैं। तो कुर्सी का तात्पर्य उस पर उसमे प्राप्त आधिकार उसमें सम्बन्धित भूमिकाओ आदि से लगाते हैं। एक भौतिक शास्त्री उसी कुर्सी पर बैठने वाले व्यक्ति द्वारा कुर्सी पर डाले गए दाब कु्र्सी की संरचना कुर्सी द्वारा व्यक्ति पर लगाए गए प्रतिक्रिया बल आदि का अध्धयन करेगां। वही एक वनस्पति शास्त्री कुर्सी का लकडी की अनुप्रस्थ काट से उसकी आयु लकडी की उसकी कोशिकाओ आदि की अध्धयन करेगां। वही एक अर्थशास्त्री कुर्सी बानने में आने वाली लागत उसे बेचने पर हुआ लाभ वर्तमान में कुर्सी की कीमत आदि पर बल देगां।

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तो दोस्तो यह रही हमारी Sociology Hindi की पूरी जानकारी मुझे आशा होगी की आपको यह जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी अगर आपको इसी से सम्बन्धित और भी कुछ जानकारी या अन्य कोई भी जानकारी चाहिए तो नीचे दिेए गए Comment Box के माध्यम से सूचना सकते हैं। हम आपकी मदद जरुर करेगें। क्योकी हमारा लक्ष्य है। कि हर छात्र के पास अच्छी से अच्छी जानकारी पहुच सकें। तो आपलोग इस साइट के साथ जरुर जुडें। इसमें आपको रोजाना कुछ ना कुछ अच्छी और बेहतर जानकारी मिलेगीं।

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