मुंशी प्रेमचन्द के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आज हम आपके लिए लेकर आयें है। हम आपको मुन्शी प्रेमचन्द के जीवन परिचय। उनकी कृतियाँ जैसे उपान्यास, कहानियाँ आदि के बारे में जानकारी देंगे तो हमारी इस लेख को ध्यान से पढें। और प्रेमचन्द के जीवन के बारे में जाने।
मुंशी प्रेमचन्द के जीवन पर निबंध Premchand Biography
लिखना एक कला है। जो सामान्यतः कोई भी इन्सान कभी भी नही कर सकता है। लिखने का भाव तभी किसी इन्सान के अन्दर आ सकता जब वह कोई वस्तु या किसी ऐसी चीज को देखों जो उसे सोचनें में मजबूर कर दे और हमारे समाज में ऐसे अनेको महापुरुष पैदा है जिन्होने अपनी लेखन शक्ति से समाज की सोच को सकरात्मक दिशा में ले गये ऐसे महानतम महान लेखको में मुंशी प्रेमचन्द का भी नाम आता है जिनके साहित्य और उपन्यास में योगदान को देखते इन्हें ‘’उपन्यास सम्राट’’ भी कहा जाता है तो आइये मुंशी प्रेमचन्द के बारे में कुछ जानतें है-
मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय Munshi Premchand Life Essay
मुंशी प्रेमचन्द ( Munshi Premchand ) का जन्म 31 जुलाई 1880 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर के निकट लमही गाव में हुआ था। मुंशी प्रेमचन्द का वास्तविक नाम धनपतराय श्रीवास्तव था लेकिन इन्हें मुंशी प्रेमचन्द और नवाब राय के नाम से ज्यादा जाना जाता है।इनके पिता का नाम अजायबराय था। जो की लमही गाव में ही डाकघर के मुंशी थे और इनकी माता का नाम आनंदी देवी था।
प्रेमचन्द का बचपन काफी कष्ट से बीता जब ये लगभग सात वर्ष के थे तो इनकी माता का देहांत हो गया तत्पश्चात इनके पिता की नौकरी गोरखपुर में हो गया जहाँ पर इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली लेकिन कभी भी प्रेमचन्द को अपनी सौतेली माँ से अपनी माँ जैसा प्यार नही मिला और फिर चौदह साल की उम्र में इनके पिताजी का भी देहांत हो गया इस तरह इनके बचपन का समय बहुत ही कष्ट से बीता। और फिर पन्द्रह वर्ष की आयु में इनका विवाह हो गया जो इनके योग्य न था। इसके बाद आर्य समाज के प्रभाव में आने के बाद इन्होने विधवा विवाह का समर्थन भी किया और इन्होने शिवरानी देवी के साथ दूसरी शादी किया जिससे इनकी तीन संताने हुई जिनके बड़े बेटे का नाम श्रीपतराय, अमृत राय और बेटी कमला देवी थी। बचपन से ही लिखने का शौक रखने वाले प्रेमचन्द के जीवन में अनेको प्रकार के कठिनाईयों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी और अनेक प्रकार के कालजयी रचना की जो की आधुनिक हिंदी की सर्वश्रेष्ट रचना साबित हुई, जीवन के आखिरी क्षणों में भी इन्होने अपना लेखन कार्य जारी रखा लेकिन बीमारी की वजह से 8 अक्टूबर 1936 को इनकी मृत्यु हो गयी जिसके कारण इनका आखिरी उपन्यास मंगलसुत्र तो पूरा नही हो पाया जिसे बाद में इनके पुत्र अमृतराय ने इस उपन्यास को पूरा किया इस तरह पूरी जिन्दगी हिंदी और उर्दू लेखन को समर्पित करने वाले प्रेमचन्द सबके दिलो में एक गहरी छाप छोड़ गये।
प्रेमचन्द की कृतिया Premchand Books
प्रेमचन्द ने अपना पूरा जीवन लेखन के प्रति समर्पित किया था प्रेमचन्द ने अपने जीवन में करीब तीन सौ से अधिक कहानिया, लगभग 15 उपन्यास, 3 नाटक, 7 से अधिक बाल पुस्तके और अनेक पत्र पत्रिकाओ का सम्पादन किया जो की सभी रचनाये अपने आप में अद्भुत और जनमानस पर अमिट छाप छोडती है। प्रेमचन्द के उपन्यासों की प्रसिद्धि इतनी अधिक हुई की उनके प्रसिद्ध उपन्यासों गोदान, कर्मभूमि, गबन, रंगभूमि पर हिंदी फिल्मे भी बन चुकी है
प्रेमचन्द के उपन्यास Premchand Novels
- गोदान
- कर्मभूमि
- निर्मला
- कायाकल्प
- रंगभूमि
- सेवासदन
- गबन
प्रेमचन्द की कहानिया Munshi Premchand ki Kahaniya
- नमक का दरोगा
- दो बैलो की कथा
- पूस की रात
- पंच परमेश्वर
- माता का हृदय
- नरक का मार्ग
- वफ़ा का खंजर
- पुत्र प्रेम
- घमंड का पुतला
- बंद दरवाजा
- कायापलट
- कर्मो का फल
- कफन
- बड़े घर की बेटी
- राष्ट्र का सेवक
- ईदगाह
- मंदिर और मस्जिद
- प्रेम सूत्र
- माँ
- वरदान
- काशी में आगमन
- बेटो वाली विधवा
- सभ्यता का रहस्य
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